Saturday, 2 January 2021

तुमसे ही हैं, तुम्हारे जीवन में प्रकाश....

तुमसे ही हैं, तुम्हारे जीवन में प्रकाश....

अक्सर अशांकाओं से घिरा मन
ज़रा कुछ हुआ की थम जाता मन
कभी शब्द कर जाते खिन्न
या बर्ताव किसी का भिन्न
कभी मन का कोई वहम
या दिल का कोई भरम
क्षण मात्र में कर देते तहस नहस
हो जाते स्वप्न उध्वस्त
मन गिर जाता गहरी खाई
तभी आवाज़ निकलकर आई 
सुनो बंधु, भाई
क्यों तज दी तुमने चतुराई
सुख दुख हैं निर्भर तुमपर
ना किसी के शब्द ना बर्ताव पर
असंभव हैं सब कुछ
बिन तुम्हारी अनुमति
सुख दुख पीड़ा अपमान
आधीन हैं तुम्हारी सहमति
चूक सुधारो अपनी
बात बनाओ अपनी
राह सवारों अपनी
ध्यान लगाओ अपनी
निंदा करो ना हो उदास
तुमसे ही हैं, तुम्हारे जीवन में प्रकाश....

मन विमल 

11 comments:

  1. Very true, apt actually this is the whole truth.

    ReplyDelete
  2. सगळं ग्राम मॅम
    रमेश आसबे

    ReplyDelete
  3. सगळं खरे आहे मॅम.
    रमेश आसबे

    ReplyDelete
  4. सगळं खरे आहे मॅम
    रमेश आसबे

    ReplyDelete
  5. खूपच छान कविता आहे मॅडम, आपण एवढे व्यस्त असताना आपली आवड जपता खरच ही एक प्रेरणा आहे आमच्यासाठी

    ReplyDelete

Maharashtra Sadan , A Home Away from Home in Delhi

Maharashtra Sadan , A Home Away from Home in Delhi It’s been over thirty years since I first set my eyes on Maharashtra Sadan. As a young of...