Tuesday, 12 March 2024

दिल मांगे मोर...

दिल मांगे मोर...

कहते हैँ दिल पर नही कोई ज़ोर
शायद इसलिए दिल मांगे मोर
सुबह शाम का ये ज़ोर शोर 
मजबूरी का ये कैसा दौर
लबों पर चुप्पी क़ी बाँधी डोर
और अंधेर भी कितना घोर
फिर भी चाँद का जैसे चकोर
संभल जाता दिल का पोर पोर
यह सोचकर क़ी शायद होगी भोर
और खिलेगी खुशियाँ चारों ओर
जीवन के चक्र पर करो गौर
ऊपर नीचे तो नीयती का कोर...

मन विमल...

1 comment:

When Sorrow Walks in During Celebration...

When Sorrow Walks in  During Celebration... Some days arrive with unexpected sorrows. I was getting ready for the ninth day of Ganesh Utsav...