Saturday, 28 December 2024

शब्दों की महिमा...

शब्दों की महिमा...

कभी अनजाने में,
कभी विश्वास से,  
कभी भोलेपन में, 
कभी प्यार से,
कभी गुस्से में, 
कभी दर्द में
कहे हुए शब्द,
बन जाते बाण,
कभी करते नया सृजन,
या अस्तित्व का प्रमाण,  
बदल देते किस्मत,
या रोक देते राह,
शब्द संवाद का भी मार्ग 
यही पहुंचाते हमारी बात,
इस लिए बुजुर्ग कहते
तोल मोल के बोल,
क्योंकि शब्द हैँ अनमोल,
पर मुहफट मैं ,
 शब्द बोलने को उतावली
और हो जाती खाली,
तो क्या मैं हो जाऊँ मौन?
“साइलेंस इज गोल्डन” समझकर,
पर मौन में भी तो छुपा ज्ञान,
भला फिर समझेगा कौन 
चुप्पी के संवेदनाओं का संज्ञान?
इसलिए पहले सोचूंगी , फिर बोलूंगी 
अपनी बात,
शब्दों की महिमा को समझ गई मैं,
अब सोच समझकर ही करूंगी मैं बात,
अब सोच समझकर ही करूंगी मैं बात...

मन विमल

No comments:

Post a Comment

To Speak or Not to Speak...

To Speak or Not to Speak... It is said that communication heals . “Talk it out,” is the universal advice advocated as the first step in res...