संवाद...
कुछ दिन बन जाते ख़ास
किसी से जब होती बातl
भर जाती मन में आस,
कि जग में अब भी है आँचl
किसी के सतकर्मों की
विश्वास से भरी ऊर्जा कीl
प्रेरणा देती हुई सादगी की,
स्नेह से परीपूर्ण राह की।
शब्दों के निर्मल वाणी सी
मौन की विशेष चुप्पी सी l
संगीत सी गूँजते सुरों की
मंद मुस्कान की लाली सी
थके मन को दे ताजगी भी
नव आरंभ हो जैसे जीवन की
कभी-कभी बस एक संवाद,
बदल देता है मन का स्वाद।
जैसे ऋतु बदल दे कली की बात,
खिल उठता वैसे दिन वह खास।
ना दिखावा, ना कोई बनावट।
ना छल, ना द्वेष, और ना कपट
केवल करुणा और प्रेम विशेष
जैसे जीवन में ना कोइ क्लेश
तभी तो कुछ दिन बन जाते ख़ास,
क्योंकि मिल जाता है एक एहसास,
कि दुनिया में अब भी हैं लोग ऐसे,
जो भर देते जीवन को ख़ुशी के पलों से
मन विमल
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