ख़ुशी कस्तूरी सी...
क्या हुआ आज
कि फिर टूट सी गयी तुम
क्या हुआ आज
कि फिर उलझ सी गयी तुम
क्या हुआ आज
कि चिंतित सी हो गयी तुम
क्या हुआ आज
कि बिखर सी गयी तुम
क्या हुआ आज
कि फिर भयभीत सी हो गयी तुम
क्या हुआ आज
कि अपना आत्मविश्वास खो बैठी तुम
क्या हुआ आज
कि फिर कमज़ोर हो गयी तुम
क्या हुआ आज
कि भूल गयी तुम
अपने ही संकल्प
क्या हुआ आज
कि भूल गयी तुम
दृढ़ रहने का निश्चय
औऱ यह भी कि
ना बेहकोगे कभी
ना भटकोगे अपने मार्ग से
ना ही होंगे लाचार
औऱ सदा
अपने आत्मसम्मान को
रखोगे सुरक्षित
क्या हुआ आज
कि डगमगाया फिर
अस्तित्व तुम्हारा
क्या हुआ आज
कि फिर खोजने लगी तुम
अपनी ख़ुशी किसी औऱ में
क्यों समझ नहीं पाती
ख़ुशी तुम्हारी
कस्तूरी की तरह
निहित हैं तुम में ही
महक इसके इत्र की
सीमित नहीं
लौकिक चीज़ें
या रिश्तों में
स्वछंद है यह
तुम्हारी ही तरह
शुरुआत इसकी तुम से
औऱ अंत भी तुम से ही....
मन विमल
The good work of Man Rachanaya continues with another masterpiece nice. salute your imagination and creativity.
ReplyDeleteThank you so much....
DeleteKya baat hai!
ReplyDeleteVery true and touching.....
Expression of womanhood....
Thanks for the response...
DeleteMulti linguist ! Too good Vimala .
ReplyDeleteThanks dear....I have published a book of my Hindi Poems, Mann Rachnaayein....will send you....
DeleteNice Mam
ReplyDeleteThanks dear
Deleteअति सु न्दर
ReplyDeleteThank you jee...
DeleteBeautiful.Deep thought in simple words
ReplyDeleteThanks Di
DeletePowerful and beautiful. True sense of womanhood!
ReplyDeleteVery nicely written and it's heart touching....
ReplyDeleteVery nicely written and it's heart touching....🙏🏻
ReplyDeleteThanks so much....
Deleteअप्रतिम रचना ...
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteShared with my Mother and Wife.