खालीपन, अंत औऱ नयी शुरुआत ....
भरी भरी सी वो
अचानक ख़ाली हो गयी
जैसे किसी ने
उलट दिया हो....
मन में भरी ऊर्जा
लुप्त सी हो गयी
जैसे किसी ने
कुछ पलट दिया हो...
शून्य सी हो गयी वो
जैसे किसी ने
कुछ हटा दिया हो...
तुच्छ भी हो गयी वो
जैसे किसी ने
छांट दिया हो....
लघु सी कुछ
जैसे किसी ने
घटा दिया हो.....
अभागी सी कुछ
जैसे किसी ने
वंचित किया हो....
अकेली एकाकी
जैसे कोई
हीन गृहीन हो....
मगर, मन ने,
फिर एक बार
सच्चा मित्र बन
थाम लिया उसको....
हौसला देकर
याद दिलाया
ज़िन्दगी हैं अनमोल...
कहा उससे
आत्मनिर्भर बनो
खुद पर विश्वास रखो....
ताकत हो तुम स्वयं की
और दूसरों की भी
पहचानो अपनी ताकत को
दृढ संकल्पित रहो
कर्म करते रहो ....
हार कभी ना मानो
ईश्वरी शक्ति
मोड़ बदलकर
रास्ता दिखलाएगी...
औऱ बतलाएगी
यह अंत नहीं
एक नयी शुरुआत हैं...
आगे बढ़ो
यह अंत नहीं
यह तो एक नयी शुरुवात हैं....
मन विमल
Wow..very strong and positive.. loved reading it.
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