Wednesday, 17 June 2020

कुशल मंगल...

कुशल मंगल...

धूसर सा आसमान
धुंदली सी आँखें
समंदर का संबल
मन मेँ पर तूफ़ान
सुदूर मंज़िल
भेदी हाक़िम
विवश एकांत
फिर अचानक
मन की पुकार
सुनो रखो
संयम संतुलन
वक़्त गुज़रेगा
सुलझेगा कल
बस थोड़ा संभल
थोड़ा और संभल
किसे मिली हैं
आसानी से मंज़िल
संकल्प से सिद्धि
पर रहो अटल
अंत में होगा
सब कुशल मंगल

मन विमल 

5 comments:

  1. अंत मे होगा सब कुशल मंगल

    ReplyDelete
  2. Sab Kushal Mangal hey. Beautiful poem ma'am.

    ReplyDelete
  3. Bohot badhiya mam....Bringing positivity

    ReplyDelete
  4. Very positive and uplifting poem.
    Simple lines but they are the key...बस थोड़ा संभल..
    थोड़ा और संभल.. aur waqt badal jayega.. Bahut Sundar.

    ReplyDelete

शब्दों की महिमा...

शब्दों की महिमा... कभी अनजाने में, कभी विश्वास से,   कभी भोलेपन में,  कभी प्यार से, कभी गुस्से में,  कभी दर्द में कहे हुए शब्द, बन जाते बाण,...