कुशल मंगल...
धूसर सा आसमान
धुंदली सी आँखें
समंदर का संबल
मन मेँ पर तूफ़ान
सुदूर मंज़िल
भेदी हाक़िम
विवश एकांत
फिर अचानक
मन की पुकार
सुनो रखो
संयम संतुलन
वक़्त गुज़रेगा
सुलझेगा कल
बस थोड़ा संभल
थोड़ा और संभल
किसे मिली हैं
आसानी से मंज़िल
संकल्प से सिद्धि
पर रहो अटल
अंत में होगा
सब कुशल मंगल
मन विमल
Wednesday, 17 June 2020
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तुम चले गए.... तुम चले गए शायद यह सोचकर ख़त्म हो जाएंगे सारे प्रश्न तुम चले गए शायद यह सोचकर मिल जाएंगे सारे जवाब तुम चले गए शायद यह स...
अंत मे होगा सब कुशल मंगल
ReplyDeleteUs din ka intjaar mein
ReplyDeleteSab Kushal Mangal hey. Beautiful poem ma'am.
ReplyDeleteBohot badhiya mam....Bringing positivity
ReplyDeleteVery positive and uplifting poem.
ReplyDeleteSimple lines but they are the key...बस थोड़ा संभल..
थोड़ा और संभल.. aur waqt badal jayega.. Bahut Sundar.