मेघभरी शाम....
बादलों से घिरी
मेघभरी शाम
छटाओं से भरी
मेघभरी शाम
वादों से घिरी
मेघभरी शाम
यादों की लहरी
मेघभरी शाम
अपनों की नगरी
साथ संगत वो गहरी
मिलना मिलाना
हसीन फुहार की डगरी
लुप्त हो गई ज़रा
हालत यूं बदली
ना मिलना मिलाना
ना अपनों का आना
ना घूमना और फिरना
ना दोस्तों से टकराना
बेचैन हैँ सासें
बेताब सी आँखें
मिलने को आतुर
प्रियजन हमारे
डरे सहमे से सब
हैँ इतनी मजबूरी
बिगड़े है हालात
वायरस जो फैली
मगर इरादे हैँ बुलंद
हौसले के संग
दुआ और यातना
बदलेंगे रंग
पलटेगी किस्मत
लौटेगी बहार
घोलेगी कानों में मिसरी
होठों पे मुस्कान
छटेंगे बादल
होगी उल्हास
मेघभरी शाम लाएगी
खुशियों की फुहार.....
मन विमल
Sunday, 12 July 2020
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इस दौर के चलते मेघभरी श्याम जरुरी हे हर चेहरे पेर मुस्कान जरुरी हे. बेहत खूबसुरत पंक्तीय लेखी मॅम.
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