Friday, 13 November 2020

आशा....

आशा....

यूँही  हताश  कभी
यूँही  निराश कभी
मन को  खोजा  है  मैंने
कभी बाहर
कभी  अंदर
कभी  गली  कूचे  राहों  मेँ
कभी घर की चार दीवारों मेँ
कभी दोस्तों  मेँ
कभी परिवारवालों  में 
कभी फेसबुक और चाहनेवालों में 
कभी किताबों  मे  लिखें  फलसफों  मे
कभी  हाथों  मे  बनी  लकीरों  मे
कभी  कोरे  कागज़  के  पन्नों  पर
कभी  समंदर के  लहरों  पर
कभी व्यस्त दिनचर्या  मे
कभी ऑफिस के फाइलों पर
कभी आसमान के चाँद सितारों मे
कभी कड़ी  धूपवाली  दोपहर  में
कभी अनोखे सुनहले  शाम  मे
कभी  पेड़ो  की  गहरी छाओं में
कभी  घने  बादलों  की  घटा में
कभी  बहते हुए आंसुओं  में
कभी अंतरंग की गहराईयों  में
कभी डूबते हुए आस  में
कभी  सिसकती हुए साँसों में
हर बार लौटी हूँ
हौसले  के  साथ
मन में यही  विश्वास  लिए
कि रात  के  बाद फिर सुबह  होगी
कि लौट आएगी  फिर रौशनी
कि खिल उठेगी जीवन  फिर से
और मुस्कुराएंगे  हम  मन  से ...
क्योंकि  जीवन  निराशा  से नहीं
आशा से  चलती  है
सिर्फ आशा  से ....

मन विमल 

4 comments:

Maharashra at the India International Trade Fair 2025

Maharashra at the India International Trade Fair 2025 : A Personal Journey Through IITF 2025  and an Invitation to Experience - Maharashtra...