हवा के सर्द झोंके की तरह तुम लूभावने
समंदर के सूक्ष्म गहराइयो की तरह दिलकश
सुबह की भीनी धूप की तरह तुम ताज़ा
सांझ में गोधूलि की तरह अनोखे
रात के चन्द्रमा की तरह सुन्दर
रत्नो में कोहिनूर की तरह अद्वितीय
आँखों में काजल की तरह स्पष्ट
निर्मल जल के प्रवाह की तरह नीशकपट
मन के तारों से बंधे गीतों की तरह मधुर
इसलिए ही तो शायद ना मिलकर भी हम जुड़े रहते
और जब मिल जाते अचानक मनाने को कुछ ख़ास
तो जी उठते है
सुर्ख रातो में पवन के झोंके की तरह शीतल
याद भी ना रहता के दिन, महीने, साल गुज़र गए बिन मिले
और लगता कल ही तो मिले थे हम
ना फ़ासले रहते, ना दरमियाँ हमारे बीच
गर कुछ होता तो सिर्फ यह एहसास
की जुड़े रहेंगे मन हमारे सदा सदा
दोहराते रहेंगे हम ये जज़्बा वफ़ा वफ़ा....
मन विमल
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