Sunday, 21 August 2022

वृद्ध होना...

वृद्ध होना...

कितना कठिन होता होगा वृद्ध होना...
आत्मनिर्भर जवानी के बाद अवलंबित होना...
स्वावलम्बी रहकर ज़िन्दगी भर
बुढ़ापे में अधीनस्थ होना...
कितना कठिन होता होगा वृद्ध होना...
संघर्षों से लढ़कर
असंख्य कष्ट सहकर
पोषण किया था जिन बच्चों का
बाहें पसारे इंतेज़ार करना उन्ही के अवधान का..
कितना कठिन होता होगा वृद्ध होना...
हाथ थामकर चलना सिखाया जिन बच्चों को
हिचकिचाना के बच्चे थामे आज उनको...
तुत्ले मीठे बोलों को प्रशांसित कर
बोलना सिखाया था जिन बच्चों को
तरस जाना सुनने उनसे प्यार भरे चार शब्दों को..
कितना कठिन होता होगा वृद्ध होना...
जन्म मरण का यह चक्र जल्द पूर्ण हो
ये सोचने को मजबूर हो...
कितना कठिन होता होगा वृद्ध होना...
गुज़रना इस दौर से तय हैँ हम सभी का
हर शख्श समझ ले बस इस सच्चाई को...
करुणा की ज्योत मन में लिए
थाम लो उनके हाथों को ताकि
संकुचित होना ना पड़े फिर किसी भी वृद्ध को...

मन विमल 

पूर्णत्व...

पूर्णत्व ...

अपनों के साथ होने का...
बैठकर बातें करने का...
बेझिज़क कुछ भी कहने का...
खिलखिलाकर हसने का...
कच्चे पक्के व्यंजन खाने का...
पुरानी तस्वीरें देखने का...
हसीन यादों को फिर जीने का...
दिल का बोझ हल्का करने का...
हाथों में हाथ लिए चलने का...
कांधे पर सर रखने का...
चैन से फिर सोने का...
मुस्कुराकर जीवन जीने का...
सच और साहस मन में रखने का...
विश्वास कभी ना खोने का...
संकल्पित रहने का...
दृढ़ता से साथ निभाने का...
यही तो हैँ पूर्णत्व 🌹

मन विमल

Friday, 12 August 2022

खालीपन....

खालीपन....

खालीपन मन का
अकथनीय
हलक में 
कुछ अटका सा
जुबान पर
कुछ रुका सा
दिल में
कुछ चुभता सा
दिमाग में
कुछ छाया सा
आँखों में
कुछ छुपा सा
सपनों को
कुछ रौँधता सा
बेड़ियों में
कुछ जकड़ा सा 
असमंजस में
कुछ घिरा सा
अस्तित्व पर
हावी सा
कोशिश फिर भी
सँभलने का
पहेलियों से
झूज़ने का
सहारा लेकर
तिंको का
मंज़िलों को
फिर पाने का
आँसूओं को
पीकर के 
खालीपन से
उठने का
मुस्कुराते हुए मन से 
जीवन सार्थक करने का... 

मन विमल 

शब्दों की महिमा...

शब्दों की महिमा... कभी अनजाने में, कभी विश्वास से,   कभी भोलेपन में,  कभी प्यार से, कभी गुस्से में,  कभी दर्द में कहे हुए शब्द, बन जाते बाण,...