अपनों के साथ होने का...
बैठकर बातें करने का...
बेझिज़क कुछ भी कहने का...
खिलखिलाकर हसने का...
कच्चे पक्के व्यंजन खाने का...
पुरानी तस्वीरें देखने का...
हसीन यादों को फिर जीने का...
दिल का बोझ हल्का करने का...
हाथों में हाथ लिए चलने का...
कांधे पर सर रखने का...
चैन से फिर सोने का...
मुस्कुराकर जीवन जीने का...
सच और साहस मन में रखने का...
विश्वास कभी ना खोने का...
संकल्पित रहने का...
दृढ़ता से साथ निभाने का...
यही तो हैँ पूर्णत्व 🌹
मन विमल
मन विमल
Yes Madam 🙏👍
ReplyDeleteThank you
Deleteजब भी हॉस्टल से घर की ओर प्रस्थान करते थे तब पंकज उदास जी की 'चिट्ठी आयी हैं वतन से चिट्ठी आयी हैं' यह गीत गुणगुणाते थे। आपकी पुर्णत्व की यह सिर्फ कविता ही नहीं है। बल्कि एक यादें हैं कुटुंब, लोग, प्रेम बंधन, त्योहार, संस्कृति, व्यंजन और पदार्थ की।
ReplyDeleteसच अपनों का साथ बहुत सुखद होता हैँ...
DeleteRespected madam बहोतही अच्छी कविता लिखी है आपणे आज के युग हे हम सब अपने
ReplyDeleteकामकाज की वजहसे अपनो हे दुर हो चुके हैं जादा समय अपणे परिजनोकों नही दे पाते हैं. कविता पढकर अपनो के साथ होणेसे जो पूर्णत्व प्राप्त होतात हैं उसमे परमानंद होता हैं...🙏
Dhanyavad...
DeleteVery nice poem. Home sweet Home always
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