Monday, 11 November 2024

गर मैं चली जाऊँ...

गर मैं चली जाऊँ,
मेरे बारे में कुछ न कहना,
जो कह न सके मेरे जीते जी,
मेरे जाने पर क्यों कहना?

न किसी बात का ज़िक्र करना,
ना करना मेरा गुणगान
मैं कितनी प्यारी थी
यह कतई भी ना कहना |

गर मैं चली जाऊँ,
मेरी बातों को याद न करना,
ना कहना, "वो यूँ कहती थी,"
और ना ही , "वो यूँ हँसती थी।"

बस चुपके से विदा कर देना,
ना सजाना मुझे फूलों से,
ना सवारना इत्र की खुशबू से,
ना लगाना मेरी तस्वीर को,
और ना बहाना आँसू बिन बातों पर।

श्राद्ध की यदि बात आए,
कुछ दे आना उन बच्चों को,
जो अनाथ हैं, अकेले हैं,
या उन औरतों को,
जिन्हे समाज ने ठुकराया हो

मेरे जीते जी जो न कह सके,
शब्द वो मेरे गुजरने पर क्या कहना,
बस शांति से छोड़ देना मुझे,
मेरी एक ख्वाइश तो पूरी करना...

मन विमल 

1 comment:

  1. मर्मभेदी कविता,
    शतशः नमन.
    🙏🙏🙏

    ReplyDelete

Bengal Mango Mela & Handloom Handicraft Expo 2025 : A Walk Through Bengal’s Soul at Janpath – Mangoes, Weaves & Warmth

Bengal Mango Mela & Handloom Handicraft Expo 2025 : A Walk Through Bengal’s Soul at Janpath – Mangoes, Weaves & Warmth Ever since ...