Thursday, 5 December 2024

झरना...

झरना...

ऊँचे पहाड़ों से नीचे गिरती,
पत्थरों से टकराती फिर भी हंसती।
हर ठोकर को गले लगाती,
निरंतर अपनी राह बनाती।

निर्मल धारा, छल से परे,
हर दिल को छू जाए जैसे सवेरे।
सूरज की किरणों को रंगीन बनाती,
चांदनी रातों में रौशनी लुटाती।

संगीत सी गूँज, मधुर रसधार,
जीवन का देती संदेश अपार।
गिरो, उठो, फिर से आगे बढ़ो,
हर सपने को साहस से साकार करो।

हर बाधा को अपनाओ खुशी से,
आशा की ज्योति जलाओ सभी से।
चलना ही जीवन का सच्चा सार,
झरना सिखाए यही हर बार 

तो आओ, झरने से प्रेरणा लें,
खुशियाँ बाँटें, और दर्द हर लें।
जीवन की हर धारा में बहते जाएँ,
दुनिया को अपने प्रकाश से सजाएँ।

मन विमल 




No comments:

Post a Comment

संवाद...

संवाद... कुछ दिन बन जाते ख़ास किसी से जब होती बातl भर जाती मन में आस, कि जग में अब भी है आँचl किसी के सतकर्मों की विश्वास से भरी ऊर्जा कीl प...