जीवन का अमृत रस...
सिर्फ खुशियाँ औऱ हर्ष उल्हास नहीं
कभी अधूरी सी कभी प्यासी ज़िन्दगी
कभी बेबस कभी उदासी से भरी
कभी नीरस कभी वेदनाओं से घिरी
कभी अतृप्त कभी हताश सी रही
हर मोड़ पर कुछ सिखाती
हर मोड़ पर कुछ जताती
हमारे उदवेलित मन को सहलाती
तरसते मन को पुनः रिझाती
टूटे सपनों को फिर सजाती
हौसलें मन में बार बार जगाती
पल पल हमें यही समझाती
रास्ते टेढ़े मेढ़े औऱ उलझें ही सही
रुकना नहीं,चलना हमारा फर्ज़ हैं
समय गवाँ देना व्यर्थ हैं
दृढ संकल्प में बसा उत्कर्ष हैं
क्योंकि जीवन विष का प्याला नहीं
आशाओं से भरपूर अमृत रस हैं...
मन विमल
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Most beautifully expressed. I recall the last lines of my book "Life Lessons For Managers" which is a perfect fit for this poem. We have so many experiences in life ; some good and others not so much. The reason for the various experiences and events may be unknown to us but life does go on with a reason.All you have to do is to develop trust and you will come to enjoy the journey of life.
ReplyDeleteYes Rajan...Thank you
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