Sunday, 24 November 2024

टूटे दिल की संवरने की ख्वाइश...

आज फिर दिल टूटा, हज़ार टुकड़े हुए,
बेशुमार अश्क़ सैलाब बनकर बहे।
कभी दोष क़िस्मत का, कभी सितारों का,
वो होकर भी हमारे, न हमारे हुए
हर झलक में बस उनका असर,
कट रहा उनके बिना फिर भी अधूरा सफर।
पलकों पे रखते उनकी तस्वीर हर बार,
फिर भी रह जाते अधूरे उनके दीदार।
चांदनी रातों में सिर्फ उनका ख़्याल,
दूर हैं फिर भी हमसे, सच यही है हाल।
क्यों भटक रहा दिल, क्यों रोता बार-बार,
रिश्ता जन्मों का फिर भी खफ़ा बार-बार।
हक़ीक़त के अफसाने में खो से गए,
ख़्वाबों में मुस्कुराना भी भूल गए।
शायद होगी कुछ ऐसी हम में ही कमी
जो जगा ना सकें उनमें प्यार की नमी
दिल टूटा हैँ फिर , पर उम्मीद हैं कायम
उनके प्यार में फिर सँवरने की ख्वाइश हैं जानम.
मन विमल 

1 comment:

My First Step into the Wari Tradition in Delhi's Sanketik Wari...

My First Step into the Wari Tradition in Delhi's Sanketik  Wari... I had always heard of the Wari. Of the lakhs of devoted warkaris wa...