वरदान जीवन का....
क्या वक़्त के साये में हूँ मैं छोटा सा तिनका
पवन जिसे उड़ाकर दूर दूर उछाल दे
क्या वक़्त के साये में हूँ तरल सा बबूला
हवा के झोंके जिसे उड़ा दे
क्या वक़्त के हाथों में हूँ माटी की गुड़िया
ठोंकर लगते ही जो धम से टूटे
क्या वक़्त के हाथों में हूँ रास्ते का पत्थर
राह चला जो कोई भी हटा दे
क्या वक़्त के हाथों में हूँ समंदर का बालू
लहरों के झोंके जिसे मिटा दे
क्या वक़्त के हाथों में हूँ हताश जीव
कीमती समय को जो यूँही गवा दे
क्या वक़्त के हाथों में हूँ एक कायर
छोटी कठिनाईयों से घबरा जाए
नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, यकीनन नहीं
सृष्टि से निर्मित हूँ प्राण अनोखा
सहारा तिनके का भी ना व्यर्थ गवां दूँ
ईश्वर का रचित हूँ दिलेर योद्धा
हर मुश्किल को मैं पार कर जाऊं
विश्वास मेरे मन का
बदले हवाओं का रुख
रचना मेरे हाथों की
दे माटी को नया रूप
मिटा देंगे समंदर बालू के निशान
मगर किनारों पर रहेंगे मेरी अमिट छाप
साहसी हूँ मैं दृढ़ निश्चय मेरा
लांघूँगी हर पाबंदी देकर जी और जान
समझ लो तुम भी बस इतनी सी बात
वरदान हैं जीवन नहीं हैं अभिशाप
करते रहो मेहनत और मन से काम
तभी पार करोगे तुम मुश्किलें हज़ार....
मन विमल
Monday, 20 July 2020
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