यादों के झरोखों से....
उठा कंप्यूटर का पर्दा
यादों के झरोखे खुले आज
सदियों बाद सहेलियां मिली
चेहरे खिल उठे आज
उत्साह था मन मेँ
खनक भरी आवाज़
बोलने को आतुर
दोहराने को अलफ़ाज़
कोई टीचर थी कोई हेयरड्रेसर
कोई डॉक्टर कोई बँकर
कोई सुशील गृहणी कोई अफसर
जोड़ा था उन्हें जिसने आज
वो थी एक सिस्टर
ज़ूम ने किया कमाल
चार समयसीमा जुड़े आज
होने लगी बातें
मिश्री से खुले साज़
बचपन की वो यादें
मस्ती भरी बातें
क्लासरुम की सीटें
बस का मार्ग
अध्यापकों के नाम
उनके विषय के नाज़
कक्षा की पढ़ाई
मैदान के बाज़
गीतों के सिलसिले
किसी की मधुर आवाज़
हर एक का जीवन अलग
पर जुड़ गए थे आज
छोटी छोटी बातों पर
उठ रहें थे नाज़
उम्र की उस देहलीज़ पर
नये मक़ाम के मोड़ पर
थामने फिर जैसे
एक दुसरे का हाथ
आँखों में वही चमक
मन में वही निर्धार
क्योंकि आज भी तो थे वो
अपने दिलों के सरताज....
मन विमल
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Thanks Vimala. This is beautiful... you captured last evening so perfectly. An Poet IAS Officer! Thanks
ReplyDeleteBahut sunder!! Yqadon ke jharokhe se jinhe mehaoosa,unke saath baant bhee paaye apnatv ke kshan...thanks to connectivity!!
ReplyDeleteVery Happy to note that you enjoyed with all your old friends. Nicely written. Nostalgia.
ReplyDeleteVery beautiful..!
ReplyDeleteBeautiful !!
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