Sunday, 11 September 2022

मैं, तुम औऱ हम...

मैं, तुम औऱ हम...

ईमान मेरा देखा नहीं
विश्वास मुझ पर किया नहीं
बस सोच लिया
भरोसे के काबिल मैं नहीं
साथ दो कदम चले भी नहीं
हाथ मेरा थामा नहीं
बस सोच लिया
चलने के काबिल नहीं
आवाज़ मेरी सुनी नहीं
शब्द मेरे समझें नहीं
बस सोच लिया
अभिव्यक्ति मेरी सही नहीं
करुणा मेरी देखी नहीं
वात्सल्य से मेरे वाकिफ़ नहीं
बस सोच लिया
रहम मेरे दिल में नहीं
शराफत मेरी देखी नहीं
अंदाज़ मेरा महसूसा नहीं
बस सोच लिया
नेकी मुझसे होगी नहीं
दिल मेरा देखा नहीं
संवेदना मेरी समझे नहीं
बस सोच लिया
भावुकता मेरे मन में नहीं
मेहनत मेरी देखी नहीं
काबिलियत मेरी जानी नहीं
बस सोच लिया
योग्यता मुझ में नहीं
फितरत मेरी देखी नहीं
इंसानियत को मेरे जाना नहीं
बस सोच लिया
सफर के मैं काबिल नहीं
पर कहना मुझको तुमसे यही
ताली एक हाथ से बजती नहीं
आग के बिना धुआं नहीं
जिम्मेदारी हम दोनों की रही
औऱ कमी सिर्फ मुझ में नहीं
काश जान लेते तुम भी यही
की परिपूर्ण तो कोई नहीं
सफर जीवन का सफल वही
साथ देता हैँ जब जब कोई
तुम औऱ मैं जब अलग नहीं
क्यों ना भुला दें हम अहं अभी...

मन विमल 

No comments:

Post a Comment

Unity at the Feet of the Iron Man – A Journey to the Statue of Unity, Ekta Nagar

Unity at the Feet of the Iron Man – A Journey to the Statue of Unity, Ekta Nagar The preamble of our Constitution includes three timeless w...