आज फिर दिल टूटा, ख्वाब बिखरे हजार,
बन अश्क़ बहा दर्द का इज़हार।
कभी क़िस्मत का दोष, कभी सितारों का,
वो होकर भी हमारे न हुए दिलदार।
हर लम्हा उनकी यादों से सजा,
फिर भी सफर में अकेलापन रहा।
पलकों पर तस्वीर, दिल में अरमान,
फिर भी अधूरा है उनके दीदार का गुमान।
चांदनी रातों में भी उनकी ही बात,
दूर रहकर भी वो हैं करीब हर रात।
दिल क्यों खोया, क्यों रोता ये बार-बार,
जन्मों के बंधन फिर भी क्यूँ बेकरार।
हकीकत के साए में लिपटे हुए,
ख्वाबों की मुस्कान को भी भूले हुए।
आज फिर दिल टूटा, मगर हौसला लिए
तेरे प्यार में फिर से खुद को रिझाए
जो किस्मत से न मिला, उसका गिला नहीं,
यादों के दामन में खुद खोने लगा यहीं
अब तन्हाई ही बनी है मेरी हमसफ़र सही टूटकर भी दिल ने सीखा है, मुस्कुराना यूहीं
मन विमल
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